UPSC ,IIT JEE, NEET ki taiyari ke nam par desh me fraud
यह रहा एक विस्तृत लेख — “छोटे शहरों में UPSC, NEET, IIT JEE के नाम पर कोचिंग संस्थानों की लूट: एक कड़वी सच्चाई” — UPSC ,IIT JEE, NEET ki taiyari ke nam par desh me fraud
छोटे शहरों में UPSC, NEET, IIT JEE के नाम पर कोचिंग इंस्टीट्यूट की लूट: एक कड़वी सच्चाई
आज शिक्षा केवल ज्ञान का साधन नहीं रही, बल्कि एक बड़ा व्यवसाय बन गई है। खासकर छोटे शहरों में UPSC, NEET, और IIT-JEE जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी के नाम पर कोचिंग इंस्टीट्यूट्स एक सुनियोजित “लूट” का अड्डा बन चुके हैं। आकर्षक विज्ञापनों, झूठे वादों और गारंटी के जाल में फंसाकर ये संस्थान खासकर मध्यमवर्गीय परिवारों के छात्रों को आर्थिक व मानसिक रूप से शोषित करते हैं।
यह लेख इन फर्जीवाड़ों की परतें खोलते हुए 10 प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से इस समस्या को उजागर करता है।
1. झूठे विज्ञापन और आकर्षक डिजिटल प्रचार
छोटे शहरों की गलियों से लेकर फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब तक, हर जगह कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के रंगीन विज्ञापन दिखाई देते हैं।
- “100% Selection Guarantee”, “हर साल टॉपर्स यहीं से निकलते हैं” जैसी टैगलाइन छात्रों और अभिभावकों को भ्रमित करती हैं।
- अक्सर कुछ पुराने या बाहरी सफल छात्रों की फोटो लगाकर उन्हें अपनी सफलता बताकर प्रचार किया जाता है, जबकि उनका कोचिंग से कोई लेना-देना नहीं होता।
2. कम योग्यता वाले शिक्षकों को ‘गुरु’ बनाकर प्रस्तुत करना
इन संस्थानों में शिक्षक अकसर अनुभवहीन, कम पढ़े-लिखे या खुद फेल हुए उम्मीदवार होते हैं जिन्हें बड़ा नाम देकर “IITian”, “Ex-UPSC Aspirant”, या “NEET Top Educator” जैसे टाइटल दिए जाते हैं।
- छात्रों को लगता है कि उन्हें विशेषज्ञ पढ़ा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि अधिकतर शिक्षक केवल किताबों से स्लाइड पढ़ने भर के लायक होते हैं।
- इस धोखे में छात्र की नींव ही कमजोर पड़ जाती है।
3. स्कूल-कॉलेज और कोचिंग की साठगांठ
कई प्राइवेट स्कूलों में शिक्षक स्कूल टाइम में पढ़ाने की बजाय छात्रों को “अपनी कोचिंग” जॉइन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- यदि छात्र कोचिंग नहीं जाता, तो स्कूल में जानबूझकर उसका ध्यान नहीं दिया जाता।
- यह एक सुनियोजित षड्यंत्र होता है जिसमें स्कूल और कोचिंग दोनों की कमाई तय होती है।
4. झूठी गारंटी और फर्जी ‘सेलेक्शन प्लान’
कई कोचिंग संस्थान यह दावा करते हैं कि वे ‘सेलेक्शन की गारंटी’ देते हैं।
- ऐसे दावे पूरी तरह फर्जी होते हैं, जिनका कोई कानूनी आधार नहीं होता।
- ‘मनी बैक गारंटी’, ‘रिजल्ट न आए तो फीस वापसी’ जैसे झूठे वादे करके अभिभावकों को फंसाया जाता है, लेकिन असफलता पर कोई जवाबदेही नहीं ली जाती।
5. मोटिवेशनल स्टोरी के नाम पर पढ़ाई की जगह भावनात्मक शोषण
UPSC ,IIT JEE, NEET ki taiyari ke nam par desh me fraud
पढ़ाई के बजाय छात्रों को घंटों “मोटिवेशनल स्टोरीज”, सफलता की काल्पनिक कहानियां सुनाई जाती हैं।
- इससे पढ़ाई का वास्तविक समय घटता है और छात्र भ्रम में रहते हैं कि वे कुछ बड़ा कर रहे हैं।
- मोटिवेशन बेचने वाले ये “गुरु” अक्सर असफलताओं को छुपाकर केवल सपने दिखाते हैं।
6. मध्यम वर्गीय छात्रों को निशाना बनाना
इन कोचिंगों का मुख्य निशाना होता है छोटे शहरों के मध्यम वर्गीय छात्र, जिनके परिवार हर हाल में बच्चे को सफल देखना चाहते हैं।
- ये छात्र आर्थिक रूप से दबाव में होते हैं, इसलिए संस्थानों को फंसाना आसान होता है।
- EMI पर फीस, डिस्काउंट स्कीम, स्कॉलरशिप टेस्ट के नाम पर इन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से फंसाया जाता है।
7. स्टडी मटेरियल, बैग और टी-शर्ट बेचने का धंधा
आजकल कोचिंग केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं, बल्कि एक पूरा “ब्रांड” बन चुकी है।
- छात्रों को “कस्टम बैग”, “टी-शर्ट”, “ब्रांडेड नोट्स” आदि देकर यह जताया जाता है कि वे किसी खास संस्था से जुड़ गए हैं।
- यह सब पढ़ाई से अधिक एक मार्केटिंग रणनीति होती है, जिससे कोचिंग की पहचान बनाई जाती है और मुनाफा कमाया जाता है।
8. फेक रैंकिंग और सेलेक्शन का झूठा प्रचार
UPSC ,IIT JEE, NEET ki taiyari ke nam par desh me fraud
कोचिंग वाले हर साल अपने ही छात्रों को फर्जी टॉपर्स दिखाकर नए विज्ञापन बनाते हैं।
- कई बार पुराने या किसी और कोचिंग के सफल छात्रों की फोटो और रैंक अपनी वेबसाइट पर डाल दी जाती है।
- वास्तविकता यह होती है कि जिनका नाम लिया जाता है, उन्होंने कभी उस संस्थान में पढ़ाई तक नहीं की।
9. टेस्ट सीरीज और डेमो क्लास का भ्रमजाल
डेमो क्लास में बड़े टीचर्स को बुलाया जाता है लेकिन बाद में पढ़ाने के लिए दूसरे कमजोर शिक्षक नियुक्त कर दिए जाते हैं।
- टेस्ट सीरीज केवल खानापूर्ति होती है, और न ही उसका विश्लेषण होता है, न ही कोई सुधार प्रक्रिया।
- छात्र भ्रम में रहते हैं कि वे तैयारी कर रहे हैं, लेकिन असल में उनका मार्गदर्शन गलत हो रहा होता है।
10. कानूनी नियंत्रण का अभाव और शून्य जवाबदेही
इन सभी फर्जीवाड़ों के बावजूद, अधिकांश कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर कोई सरकारी या कानूनी नियंत्रण नहीं होता।
- न ही इन्हें कोई लाइसेंस चाहिए होता है, और न ही शिक्षा का कोई मानक तय होता है।
- यही कारण है कि ये संस्थाएं मनमाने ढंग से फीस तय करती हैं, झूठे वादे करती हैं और असफलता का कोई हिसाब नहीं रखतीं।
निष्कर्ष: जागरूकता ही बचाव है
छोटे शहरों में कोचिंग संस्थानों की यह अंधी दौड़ न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, बल्कि अभिभावकों की वर्षों की मेहनत की कमाई भी बर्बाद कर रही है। अब समय आ गया है कि
- सरकार इस क्षेत्र में मानकीकरण, लाइसेंसिंग, और जवाबदेही लागू करे।
- अभिभावक और छात्र भी विज्ञापन और प्रचार की चकाचौंध से ऊपर उठकर संस्थान की सच्चाई, शिक्षकों की योग्यता, और पूर्व परिणामों की पारदर्शिता की जांच करें।
यदि इस व्यवस्था को खुलकर एक्सपोज नहीं किया गया, तो लाखों सपनों को बाजार में यूं ही लूटा जाता रहेगा।
UPSC ,IIT JEE, NEET ki taiyari ke nam par desh me fraud