जनसंख्या स्थिरता के लिए क्या है 2.1 का जन्म दर सूचकांक

kaise hogi Bharat ki jansankhya sthir 2.1 ke janm dar se


जनसंख्या स्थिरता और 2.1 का जन्म दर सूचकांक: भारत की जनसांख्यिकीय भविष्यवाणी का विश्लेषण

परिचय

जनसंख्या स्थिरता एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ किसी देश की कुल जनसंख्या एक स्थायी स्तर पर पहुँच जाती है और उसमें विशेष वृद्धि या गिरावट नहीं होती। यह तब संभव होता है जब देश का कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) लगभग 2.1 के स्तर पर बना रहता है। यह सूचकांक एक महिला द्वारा अपने पूरे प्रजनन काल में पैदा किए जाने वाले बच्चों की औसत संख्या को दर्शाता है। इस रिपोर्ट में हम 2.1 के इस जादुई आँकड़े के पीछे का विज्ञान, भारत के लिए इसके निहितार्थ, और यह कैसे भारत की जनसंख्या को स्थिर व फिर घटने की दिशा में ले जाएगा, इस पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।


2.1 का जन्म दर सूचकांक: क्या है इसका महत्व?

kaise hogi Bharat ki jansankhya sthir 2.1 ke janm dar se

किसी देश की जनसंख्या स्थिर बनी रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि अगली पीढ़ी पिछली पीढ़ी की जनसंख्या को प्रतिस्थापित कर सके। एक पुरुष और एक महिला के स्थान पर यदि औसतन 2 बच्चे हों तो यह प्रतिस्थापन संभव है। किंतु सभी बच्चे वयस्क नहीं होते, कुछ की मृत्यु शैशव या किशोरावस्था में हो जाती है, और कुछ महिलाएं संतान नहीं जन्म देतीं। इस जैविक और सामाजिक असंतुलन को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों ने जनसंख्या प्रतिस्थापन स्तर को 2.1 निर्धारित किया है।

इसका अर्थ है: यदि किसी देश का कुल प्रजनन दर 2.1 है और अन्य सभी कारक स्थिर हैं (जैसे मृत्यु दर, प्रवासन आदि), तो वहाँ की जनसंख्या दीर्घकाल में स्थिर हो जाएगी।


भारत की वर्तमान जनसांख्यिकी स्थिति

भारत में 1950 के दशक से लेकर 1980 के दशक तक जनसंख्या वृद्धि की दर अत्यंत तेज़ रही। 1971 में भारत की कुल प्रजनन दर लगभग 5.2 थी, जो अत्यधिक उच्च मानी जाती है। जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों के बावजूद, 1990 के दशक तक देश की जनसंख्या में प्रतिवर्ष बड़ी वृद्धि होती रही।

लेकिन 2000 के बाद से शिक्षा, शहरीकरण, महिलाओं की स्थिति में सुधार, और परिवार नियोजन नीतियों के चलते प्रजनन दर में लगातार गिरावट आने लगी।

kaise hogi Bharat ki jansankhya sthir 2.1 ke janm dar se

2022 में भारत की कुल प्रजनन दर घटकर 2.0 पर आ गई, जो कि जनसंख्या प्रतिस्थापन स्तर (2.1) से नीचे है। यह एक ऐतिहासिक मोड़ है, जिसका प्रभाव आने वाले दशकों में दिखाई देने लगेगा।


तो फिर जनसंख्या क्यों नहीं घट रही?

यह एक आम प्रश्न है कि यदि जन्म दर 2.1 से नीचे आ चुकी है, तो भारत की जनसंख्या अब तक घट क्यों नहीं रही? इसका उत्तर “जनसांख्यिकीय जड़त्व (Demographic Momentum)” में छिपा है।

जब कोई देश अधिक वर्षों तक ऊँची प्रजनन दर बनाए रखता है, तो उसकी जनसंख्या संरचना में युवा आबादी का अनुपात अधिक हो जाता है। भारत में भी यही हुआ है।

वर्तमान में भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 50% लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। यह युवा वर्ग अभी अपने प्रजनन काल में प्रवेश कर रहा है। भले ही हर महिला औसतन सिर्फ 2 बच्चे ही पैदा कर रही हो, लेकिन जब प्रजनन योग्य महिलाओं की संख्या बहुत अधिक हो, तो कुल जन्म संख्या अधिक ही रहेगी।

इस कारण, जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी जरूर हो रही है, लेकिन कुल जनसंख्या अब भी बढ़ रही है।


भारत की जनसंख्या स्थिर कब होगी?

संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न जनसांख्यिकीय संस्थाओं द्वारा किए गए पूर्वानुमानों के अनुसार:

  • भारत की जनसंख्या 2040 से 2060 के बीच कहीं जाकर स्थिर होना शुरू करेगी।
  • 2070 तक यह लगभग 1.7 से 2.0 अरब (170 से 200 करोड़) के बीच पहुँच सकती है।
  • इसके बाद वृद्ध लोगों का अनुपात बढ़ने लगेगा और प्रजनन दर बनी रहेगी या और नीचे जाएगी, जिससे जनसंख्या धीरे-धीरे घटने लगेगी।

जनसंख्या घटने की प्रक्रिया: फायदे और चुनौतियाँ

भारत की जनसंख्या का स्थिर होना या धीरे-धीरे घटना एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, लेकिन यह नई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ भी लेकर आएगा।

फायदे:

kaise hogi Bharat ki jansankhya sthir 2.1 ke janm dar se

  1. संसाधनों पर दबाव कम होगा – जल, भूमि, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा इत्यादि पर बोझ घटेगा।
  2. परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी – छोटे परिवारों में प्रति व्यक्ति खर्च अधिक हो सकेगा।
  3. शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश संभव होगा – सरकार गुणवत्ता सुधार पर ध्यान दे सकेगी।

चुनौतियाँ:

  1. बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि – 2070 तक 60 वर्ष से ऊपर की आबादी कुल जनसंख्या का 30% से अधिक हो सकती है।
  2. कार्यशील जनसंख्या में गिरावट – उत्पादन और आर्थिक विकास में बाधा आ सकती है।
  3. पेंशन और स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ – सामाजिक सुरक्षा तंत्र मजबूत करना होगा।

नीतिगत सुझाव

जनसंख्या स्थिरता और आगामी गिरावट के प्रभाव को संतुलित करने के लिए सरकार को निम्न उपायों पर ध्यान देना चाहिए:

  1. वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना का विस्तार।
  2. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, खासकर वृद्धजनों के लिए।
  3. नवाचार और तकनीक पर आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण, जिससे कम जनसंख्या में भी उत्पादकता बढ़ सके।
  4. महिला सशक्तिकरण और शिक्षा, जिससे TFR स्थिर रूप से 2.1 से नीचे बना रहे।
  5. प्रवास नीति में संतुलन – आवश्यकता होने पर कुशल प्रवासियों को आमंत्रित किया जा सके।

निष्कर्ष

kaise hogi Bharat ki jansankhya sthir 2.1 ke janm dar se

भारत अब जनसंख्या संक्रमण (Demographic Transition) के उस चरण में प्रवेश कर चुका है जहाँ प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर (2.1) से नीचे है, और इसके बावजूद जनसंख्या कुछ समय तक बढ़ती रहेगी। लेकिन यह वृद्धि 2040-2070 के बीच धीमी होकर स्थिरता में बदल जाएगी।

यह परिवर्तन न केवल भारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना को बदलेगा, बल्कि विश्व मंच पर भी भारत की भूमिका को पुनर्परिभाषित करेगा। यदि सरकार और समाज मिलकर इस संक्रमण को सही दिशा में मोड़ें, तो यह जनसंख्या स्थिरता भारत के लिए एक वरदान सिद्ध हो सकती है।


Leave a Comment